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खुशबू जैसे लोग मिले अफ़साने में
इक पुराना ख़त खोला अनजाने में !
शाम के साए बालिश्तों से नापे हैं
चाँद ने कितनी देर लगादी आने में !
दिल पर दस्तक देने ये कौन आया है
किसकी आहट सुनता हूं वीराने में !
जाने किसका ज़िक्र है इस अफ़साने में
दर्द मज़ा लेता है जो दोहराने में !!
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1 comment:
खुशबू जैसे लोग मिले अफ़साने में
इक पुराना ख़त खोला अनजाने में !
Venus...aapka jitna bhi shukriya ada kiya jaye kam hai...bahut sunder sankalan hai ...mujhe to jaise jannat mil gayi....
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