Monday, August 16, 2010

रोज़ - रोज़ आँखों तले .......इक ही सपना चले
रात भर काज़ल जले
आँख में ....जिस तरहा.......खाव का दिया जले
रोज़ रोज़ आँखों तले...
जब से तुम्हारे नाम की मिसरी होंठ  लगाई है
मीठा सा गम है और मीठी .......सी तन्हाई है...

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