जरा सी पीठ गर नंगी होती
फटे हुए होते उसके कपड़े
लबों पे गर प्यास की रेत होती
और एक दो दिन का फ़ाका होता
लबों पे सुखी हुई सी पपड़ी
जरा सी तुमने जी चिल्ली होती
तो खून का इक दाग़ होता .
तो फिर ये तस्वीर बिक ही जाती !
. .......गुलज़ार
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