Tuesday, August 17, 2010

दिल ढूंढ़ता है फिर वही फुर्सत के रात दिन


दिल ढूंढ़ता है फिर वही फुर्सत के रात दिन
बैठे रहें ......तस्सवुर ए जाना ........किये हुए
या गर्मियौं  की रात जो .........पुरवाइयां चलें
ठंडी ......सफ़ेद चादरों ......पे जागे ...देर तक
तारों को .........देखते रहें.... छत  पर पड़े हुए

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