Friday, December 3, 2010


From ...Aaandhii...................aawsssssssssmmmm


बर्सौं  बाद  यूँ  घूमने  निकली  हूं
ऐसा  लगता  है  की  वो  किसी  और  सदी   की  बात  थे

शायद  ये  उन  दिनों  की  बात  होगी ..जब  ये  इमारत  अभी  उजारी  नही  थी  


पिछले  किसी  जनम  की  बात  ही  तो  लगती  है
एक  काम  करें ........
जब  तक  तुम  यहान  हो  रोज़  घर  पे  खाने  के  लिए  तो  आया  ही  करोगी

खाने  के  बाद  घुमने  निकल  आया  करंगे ...कम  से  कम  ये  इमारत  कुछ  दिनों  के  लिए  तो
बस  जायेगी

तुम्हारी  शाल   कहाँ  है


अरे  ना  ना ....
तुम  नही  बदलोगी ...............
तेरे  बिना  जिंदगी  से  कोई  शिकवा  तो  नही  .शिकवा  नही
तेरे  बिना  ज़िन्दगी  भी  लेकिन ... जिंदगी  तो  नही  .....जिंदगी  नही

काश  ऐसा  हो  के  तेरे  क़दमों  से  चुन  के  मंजिल  चलें
और   कहीं  दूर   कहीं ,..तुम  गर  साथ  हो ..मंजिलों  की  कमी  तो  नही

सुनो  आरती  ये  जो  फुल्लों  की   बेले  नज़र  आती  है  ना ......दरअसल  ये  बेले  नही  है ...अरबी  में  आयतें  लिखी  हैं ..इसे  दिन  के  वक़्त  देखना  चाहिए ......बिलकुल  साफ़  नज़र  आती  हैं ..दिन  के  वक़्त  ये  सारा  पानी  से  भरा  रहता  है ...दिन  के  वक़्त  जब  ये  फुहारे ...
मजाक  क्यूँ   कर  रहे  हो ..कहाँ  आ  पाउंगी  मैं  दिन  में

ये  जो  चाँद  है  ना  इसे  रात  में  देखना ..ये  दिन   में  नही  निकलता .

ये  तो  रोज़  निकलता  होगा
हाँ  लेकिन  बीच  में  अमावस  आ  जाती  है ..वैसे  तो  अमावस  15 दिन  की  होती  है ...लेकिन
इस  बार  बहुत  लम्बी  रही ..............

9 बरस  लम्बी  थी  ना .....


जी  में  आता  है  तेरे  दामन  में  सर  छुपा  के  हम  रोते  रहें
तेरे  भी  आँखों  में  आंसुओं   की  कमी  तो  नही

तुम  जो  कह  दो  तो  आज  की  रात  चाँद  डूबेगा  नही ...रात  को  रोक  लो
रात  की  बात  है  ...और  ज़िन्दगी  बाकी  तो  नही .....

तेरे  बिना  जिंदगी  से  कोई  शिकवा  तो  नही  .शिकवा  नही
तेरे  बिना  ज़िन्दगी  भी  लेकिन ... जिंदगी  तो  नही  .....जिंदगी  नही

3 comments:

बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरना said...

खाली वक़्त में इसे देख रहा था ...एक बुजुर्ग सेवानिवृत्त प्राचार्य जी आ गए ......मैंने उन्हें भी पढ़वाया ....पुरानी यादों में खोकर खुश हो गए ...फिर बताया कि उनके हेड मास्टर साहब जी नें भी इस फिल्म में कोई रोल किया था.
मैं नें तो यह फिल्म नहीं देखी ......पर प्राचार्य जी नें तारीफ़ बहुत की.
वीनस जी ! आपका लिखना सार्थक हुआ ....एक बुजुर्ग को खुशी देने का श्रेय आज आपके हिस्से में रहा.

केवल राम said...

नमस्कार जी
अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर , आपका लेखन परिपक्वता का परिचय देता है ...आगे बढ़ें ...शुभकामनायें

केवल राम said...

(WORD VERIFICATION)
हटा दें तो टिप्पणी करने में आसानी होगी....मैं आपकी थोड़ी सी मदद कर रहा हूँ ,आशा है ...आपके लिए लाभदायक होगी ...शुक्रिया
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-ब्लोगर डेशबोर्ड --> सेटिंग---> कमेंट्स ---- >शो वर्ड वैरिफ़िकेशन फार कमेंट्स ---->सेलेक्ट नो-----> सेव सेटिंग्स,....बस हो गया