Friday, August 2, 2013

हाल-चाल ठीक-ठाक है

हाल-चाल ठीक-ठाक है
सब कुछ ठीक-ठाक है
बी.ए. किया है, एम.ए. किया
लगता है वह भी ऐंवे किया
काम नहीं है वरना यहाँ
आपकी दुआ से सब ठीक-ठाक है

आबो-हवा देश की बहुत साफ़ है
क़ायदा है, क़ानून है, इंसाफ़ है
अल्लाह-मियाँ जाने कोई जिए या मरे
आदमी को खून-वून सब माफ़ है

और क्या कहूं?
छोटी-मोटी चोरी, रिश्वतखोरी
देती है अपा गुजारा यहाँ
आपकी दुआ से बाक़ी ठीक-ठाक है

गोल-मोल रोटी का पहिया चला
पीछे-पीछे चाँदी का रुपैया चला
रोटी को बेचारी को चील ले गई
चाँदी ले के मुँह काला कौवा चला

और क्या कहूं?
मौत का तमाशा, चला है बेतहाशा
जीने की फुरसत नहीं है यहाँ
आपकी दुआ से बाक़ी ठीक-ठाक है
हाल-चाल ठीक-ठाक है

11 comments:

अरुन अनन्त said...

आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (04-08-2013) के चर्चा मंच 1327 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

संजय भास्‍कर said...

बहुत अच्छी लगी यह नज़्म !!

Neeraj Neer said...

जोया जी अच्छी कविता बाटने के लिए आभार .इस के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (02.09.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें .

कविता रावत said...

सबकुछ घटित होता है फिर भी हाल-चाल ठीक-ठाक है यह कहना ही पड़ता है, सच अजब मजबूरी है ये
बहुत अच्छी प्रस्तुति

दिगम्बर नासवा said...

सच तो यही है ... जो होता है उस से खुद ही प्रभावित होता है ... सबको इससे क्या ...
सबके लिए तो हाल चाल ठीक ठाक है ...

कविता रावत said...

सच सबकुछ चलता है लेकिन सब ठीक है कहना ही पड़ता है
बहुत खूब

Gurminder Singh said...

रोटी को बेचारी को चील ले गई,

आजकल बेचारी को रोटी को,
जनता देखो कैसे तरस गई ।

पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा said...

कटाक्ष करती ऐसी रचनाएँ ही समाज को झकझोर कर जागृत कर सकती हैं । बेहतरीन लेखन। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

हलके-फुलके शब्दों के साथ
बहुत सारगर्भित रचना।

Amit Gaur said...

आप की पोस्ट बहुत अच्छी है आप अपनी रचना यहाँ भी प्राकाशित कर सकते हैं, व महान रचनाकरो की प्रसिद्ध रचना पढ सकते हैं।

bsc first year exam result said...

Great article. Your blogs are unique and simple that is understood by anyone.